व्रत और उपवास

Karwa Chauth 2025: शुभ मुहूर्त, Date, चंद्रोदय का समय 

Karva Chauth 2025 Details: Shubh Muhurat, Tithi, चंद्रोदय का समय or Katha

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ भारत में खासकर उत्तर भारत में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है। करवा चौथ का पर्व सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को व अंग्रेजी कैलेण्डर के अक्टूवर या नवम्बर माह में मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू स्त्रियो द्वारा बड़े प्रेम व आस्था के साथ मनाया जाता है। सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती है। आईये जानते है 2025 में करवा चौथ कब है, पूजा का शुभ मुहूर्त क्या होगा, इसे मनाने के पीछे की कथा और इसका महत्व क्या है।

karwa Chauth 2025 Date and Subh Muhurat

करवा चौथ की तिथि       10 अक्टूवर (शुक्रवार)

पूजा का शुभ मुहूर्त         शाम 05ः57 से 07ः07 तक

चन्द्र उदय होने का समय         रात्रि 08ः12

व्रत की पूजा विधि (Karwa Chauth 2025 Vrat Puja Vidhi)

सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करने के बाद पूजा के स्थान को गंगाजल से शुद्ध किया जाता हैं और फिर वहां भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय की पूजा की जाती हैं, फल, फूल और मिठाई का भोग लगाया जाता है, साथ ही करवा माता की पूजा और कथा सुनी या पढ़ी जाती है। इसके बाद सुहाग से जुड़ी सारी सामग्री अपनी सास या घर की बुजुर्ग विवाहित महिला को दी जाती है। रात में चंद्रमा को देखकर व्रत खोला जाता है।

शाम के समय शुभ मुहूर्त में चांद निकलने से पहले पूरे शिव परिवार की पूजा की जाती है। चांद निकलने के बाद महिलाएं चंद्रमा को छलनी से देखकर उसका पूजन करती है, अर्ध्य देती है और पति के हाथ से पानी पीकर व्रत पूरा करती है। मान्यता है कि चंद्रमा की पूजा से वैवाहिक जीवन सुखी होता है और पति की आयु लंबी होती है। शास्त्रों में चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। यदि करवा चौथ का विधिवत पालन करें तो उनके पति की आयु लंबी होती है, साथ ही वैवाहिक जीवन भी खुुशहाल बना रहता है।

Karwa Chauth व्रत कथा

करवा चौथ से जुुड़ी कई कहानियां है जिनमें से एक लोकप्रिय कथा है सती सावित्री की। इस कथा के अनुसार सती सावित्री के पति सत्यवान की मृत्यू हो गई थी। अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से वापस लाने के लिए सावित्री ने कठोर व्रत रखा था। उसकी दृढ़ता व पति के लिए प्रेम देखकर यमराज जी ने सत्यवान को जीवनदान दे दिया। इसी तरह करवा चौथ के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है, यानी पूरे दिन महिलाएं ना तो कुछ खाती हैं और ना ही पीती है। यह व्रत कठिन जरूर होता है लेकिन पत्नी के इस त्याग और समर्पण के पीछे पति के लिए अपार प्रेम और उनके लंबे जीवन की कामना निहित होती है।

करवा चौथ व्रत का महत्व

करवा चौथ का पर्व सिर्फ व्रत रखने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नि के रिश्ते को और मजबूत बनाने का भी काम करता है। व्रत रखने वाली पत्नी का त्याग और पति द्वारा उसका सम्मान, दोनों के बीच प्रेम और विश्वास को बढ़ाता हैं। साथ ही पूरे परिवार के लोग मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं जिससे रिश्तों में मिठास आती है।  

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