व्रत और उपवास

Pradosh Vrat in September 2024: सितंबर में हैं दो रवि प्रदोष व्रत, जानें सही डेट और मुहूर्त

Pradosh Vrat in September 2024: सितंबर में हैं दो रवि प्रदोष व्रत हैं (Ravi Pradosh Vrat in September 2024). जानते हैं उनकी सही डेट और पूजा का मुहूर्त.

Pradosh Vrat in September 2024: प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं, एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक पक्ष के त्रियोदशी तिथि को यह व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत भगवान् भोलेनाथ और माता पार्वती को समर्पित है। मान्यता है की इस व्रत करने से और प्रदोष काल देवाधिदेव महादेव की पूजा अर्चना करने से बड़ी सी बड़ी समस्या दूर हो जाती है। तो चलिए जानते हैं सितम्बर महीने में कब है प्रदोष व्रत।

सितम्बर 2024 प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat in September 2024)

सितम्बर माह में दोनों पक्षों (शुक्ल और कृष्ण) में रवि प्रदोष व्रत का सयोंग बन रहा है। और मान्यता है की जो उपासक रवि प्रदोष व्रत रखते हैं, उनकी आयु में वृद्धि होती है और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। चलिए जानते हैं इनकी सम्पूर्ण जानकारी।

रवि शुक्ल प्रदोष व्रत सितंबर 2024 (Ravi Shukl Pradosh Vrat in September )

सितम्बर में हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि रविवार 15 सितम्बर को पड़ रही है। ऐंसे में रवि शुक्ल प्रदोष व्रत 15 सितम्बर को रखा जायेगा। इस दिन प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त संध्या 06: 26 मिनट से 08 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। प्रदोष पूजा के लिए कुल अवधि 02 घण्टे 20 मिनट्स की प्राप्त होगी। त्रयोदशी तिथि 15, सितम्बर 2024 को 06:12 पी एम बजे प्रारम्भ होगी और 16, सितम्बर 2024 को 03:10 पी एम बजे समाप्त होगी. इस दिन निशिता मुहूर्त 11:53 पी एम से 12:40 ए एम तक का है।

आश्विन मास रवि प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) (Ashwin Mas Ravi Pradosh Vrat 2024)

आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि रविवार 29 सितम्बर को पड़ेगी ऐसे में सितंबर में दूसरा रवि प्रदोष व्रत रविवार, 29, सितंबर 2024 को रखा जायेगा. प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त संध्या 06:09 पी एम से 08:34 पी एम तक रहेगा। प्रदोष पूजा के लिए कुल अवधि 02 घण्टे 25 मिनट्स की प्राप्त होगी। त्रयोदशी तिथि 29, सितम्बर 2024 को 04:47 पी एम से प्रारंभ होगी और 30, सितम्बर 2024 को 07:06 पी एम पर समाप्त होगी. इस दिन निशिता मुहूर्त 11:47 पी एम से 12:35 ए एम तक का है।

रवि प्रदोष व्रत की पूजन सामग्री

एक जल से भरा हुआ कलश, एक थाली (आरती के लिए), बेलपत्र, धतूरा, भांग, कपूर, सफेद पुष्प व माला, आंकड़े का फूल, सफेद मिठाई, सफेद चंदन, धूप, दीप, घी, सफेद वस्त्र, आम की लकड़ी, हवन सामग्री।

रवि प्रदोष व्रत पूजन विधि

रवि प्रदोष व्रत के दिन व्रती को प्रात:काल नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर भोले शंकर और माता पार्वती का पूजन करना चाहिए। इस पूरे दिन निराहार रहना चाहिए तथा दिनभर मन ही मन शिव का प्रिय मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप करना चाहिए। तत्पश्चात सूर्यास्त के पश्चात पुन: स्नान करके भगवान शिव का षोडषोपचार से पूजन करना चाहिए। रवि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल के मध्य में करनी उत्तम मानी जाती है। नैवेद्य में जौ का सत्तू, घी एवं शकर का भोग लगाएं, तत्पश्चात आठों दिशाओं में 8‍ दीपक रखकर प्रत्येक की स्थापना कर उन्हें 8 बार नमस्कार करें। इसके बाद नंदीश्वर (बछड़े) को जल एवं दूर्वा खिलाकर स्पर्श करें। शिव-पार्वती की प्रार्थना करें।

जो लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं, किसी न किसी बीमारी से ग्रसित होते रहते हैं, उन्हें रवि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। इस व्रत से मनुष्य की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हल होती हैं तथा मनुष्य निरोगी हो जाता है।

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